संतान की लंबी उम्र, सुख समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किए जाने वाला जितिया पर्व इस वर्ष 14 सितंबर रविवार को श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के साथ मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर भगवान जीमूतवाहन और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। पर्व के एक दिन पूर्व महिलाएं नहाय-खाय की परंपरा निभाती हैं।

जिसमें स्नानोपरांत पवित्र भोजन किया जाता है। उसके बाद सप्तमी तिथि को उपवास की शुरुआत एवं अष्टमी को पूरे दिन निर्जला व्रत कर रात्रि में व्रत कथा सुनकर पूजा संपन्न की जाती है। साथ ही नवमी तिथि को व्रत का पारण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत रखने से संतान पर आने वाले हर संकट टल जाते हैं।
साथ ही उसकी उम्र भी लंबी होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जीमूतवाहन नामक राजा ने अपने जीवन का बलिदान देकर नागवंश के पुत्रों की रक्षा की थी। तभी से माताएं अपने संतानों की दीर्घायु एवं सुरक्षा के लिए यह व्रत करती आ रही है। मकदमपुर निवासी पंडित पवन झा ने बताया कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में जितिया का पर्व मनाया जाता है।
महिलाएं अपने संतान के दीर्घ जीवन की कामना को लेकर यह पर्व करती हैं। यह व्रत प्रदोष व्यापिनी है। अपने संतान के दीर्घ जीवन के लिए महिलाएं प्रदोष काल में निर्जला रहकर यह व्रत रखती है। पंडित पवन झा ने बताया कि इस वर्ष जो महिलाएं जितिया व्रत शुरू करना चाहती है। वे निश्चित रूप पर्व का शुरुआत कर सकती है, क्योंकि इस बार जितिया व्रत हर बार की तुलना में कुछ आसान है।
13 तारीख को नहाय-खाय के साथ रात्रि में जब तक सप्तमी रहेगा महिलाएं विशिष्ट भोजन करेंगी। तत्पश्चात 14 तारीख सूर्योदय के साथ एवं 15 तारीख को सूर्योदय होने तक निर्जला व्रत रखेंगी। साथ ही 14 तारीख को ही डलिया भरने का कार्य किया जाएगा।
15 तारीख की सुबह 6:36 बजे अष्टमी समाप्त होगी। 6:36 बजे के बाद डलिया खोलने के उपरांत व्रती महिलाएं खीरा, अंकुरित चना या दूध के साथ व्रत तोड़ेगी। इस बार पूर्ण तिथि तक होने वाले जितिया व्रत को काफी खास माना जा रहा है। सूर्योदय से लेकर अगले सूर्योदय होने तक 24 घंटे का यह व्रत पूर्ण माना जाएगा, इसलिए इस बार जितिया पर्व को विशिष्ट माना जा रहा है।
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