Home राजनीति पिता नीतीश के करीबी, बेटा तेजस्वी के साथ; राजनीतिक राहों में दिलचस्प होगा मुकाबला
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पिता नीतीश के करीबी, बेटा तेजस्वी के साथ; राजनीतिक राहों में दिलचस्प होगा मुकाबला

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The political contest will be interesting.
राजनीतिक राहों में दिलचस्प होगा मुकाबला
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जेडीयू के बांका सांसद गिरधारी यादव की राजनीति विरासत अब उनके पुत्र चाणक्य प्रकाश रंजन संभालेंगे बीते दिनों चाणक्य ने राजद नेता तेजस्वी यादव के समक्ष पार्टी की सदस्यता ग्रहण की माना जा रहा है कि राजद की टिकट पर बांका जिले के बेलदार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। चाणक्य प्रकाश रंजन बेलहर विधानसभा क्षेत्र से राजद ज्वॉइन करने से पहले से ही सक्रिय रहे हैं।

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राजनीतिक राहों में दिलचस्प होगा मुकाबला

उनके पिता गिरधारी यादव मूल रूप से जमुई क्षेत्र के सिमुलतला थाना क्षेत्र के तिलवा पंचायत अंतर्गत बड़ौंदिया गांव के निवासी है। बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही गिरधारी यादव अपने भाजपा विरोधी बयानों को लेकर राजनीति हलकों में चर्चा में रहे थे। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार सांसद गिरधारी यादव अभी भी नीतीश कुमार के साथ है , जबकि उनका पुत्र स्वतंत्र विचार वाला युवा नेता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सांसद पुत्र के राजद में शामिल होने से बांका के साथ साथ झाझा और चकई विधानसभा क्षेत्र में भी इनका असर दिखता है। गिरधारी यादव का नाम बिहार के जमीनी और जनप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत भी जमुई से हुई थीं । चाणक्य प्रकाश रंजन , सांसद पुत्र होने के साथ साथ विदेश से शिक्षित और युवा नेतृत्व वाले क्षमता वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई डीपीएस, आरकेपुरम , नई दिल्ली से की और दिल्ली विश्विद्यालय से अर्थशास्त्र की डिग्री प्राप्त की । इसके बाद लंदन से मास्टर ऑफ पब्लिक पॉलिसी की शिक्षा पूरी की । गिरधारी यादव समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत राजीव गांधी के कार्यकाल में भारतीय युवा कांग्रेस से की थी । बाद में विश्वनाथ प्रसाद सिंह की राजनीति से प्रेरित होकर जनता दल से जुड़े ।

वर्ष 1995 में वे जनता दल के टिकट पर बांका के कटोरिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद 1996 में उन्हें 11वि लोकसभा के लिए बांका से प्रत्याशी बनाया गया और वे पहली बार सांसद बने 1997 में जनता दल के विभाजन के बाद वे राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हुए। 1998 में वे दिग्विजय सिंह से मामूली अंतर से चुनाव हार गए। लेकिन राजनीति में उनकी पकड़ और मजबूत होगी ।

2000 में वे दूसरी बार विधायक ,2004 में 14 वि लोकसभा चुनाव में सांसद और 2010 में जेडीयू में शामिल होकर बेलहर से विधानसभा चुनाव जीते । 2015 में उन्होंने चौथी बार बेलहर सीट से जीत दर्ज की 2019 में वे 17 वि लोकसभा में रिकॉर्ड मतों से विजय हुए और 2024 में 18वि लोकसभा के लिए दुबारा निर्वाचित हुए। चाणक्य प्रकाश रंजन के राजनीति में उतरने से जहां राजद को युवा नेतृत्व का चेहरा मिला है। वही पिता पुत्र की अलग अलग राजनीति रहें आने वाले चुनाव में दिलचस्प मुकाबले का संकेत दे रही है।

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