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बिहार के लाल का कमाल, इंस्टाग्राम पर मखाना बेचकर हर महीने करता है 3 करोड़ की कमाई

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Amazing feat of the son of Bihar
हर महीने करता है 3 करोड़ की कमाई
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भारत में सुपरफूड के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मखाने का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में होता है। जो देस की कुल पैदावार का लगभग 85% हिस्सा है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर इस फसल की लोकप्रियता बढ़ने से किसानों और उधमियों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। इसी बढ़ती संभावनाओं को पहचानकर बिहार के कटिहार जिले के युवा नदीम इकबाल ने मखाने के पारंपरिक कारोबार को एक आधुनिक और संगठन उद्योग बना दिया।

Amazing feat of the son of Bihar
हर महीने करता है 3 करोड़ की कमाई (photos: google)

कमाल तो इस बात का है कि नदीम इकबाल इंस्टाग्राम के जरिए मखाना बेचकर हर महीने करीब 3 करोड़ रुपए के राजस्व की आमदनी कर लेते हैं। स्टार्टअप पीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार , नदीम के पिता मोहम्मद रईस करीब तीन दशकों से मखाने के ठीक व्यापारी है। उन्होंने वर्षो पहले अपनी जमीन पर एक छोटी फैक्ट्री और दो मखाना पॉपिंग मशीनें लगाई थी।

लेकिन यह कारोबार समय के साथ बढ़ नहीं पाया। इसका कारण यह रहा कि इसमें न स्ट्रक्चर था ना ही कारोबार को बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा था। नदीम bba की पढ़ाई कर रहे थे। अपने कॉलेज प्रोजेक्ट के दौरान पहली बार इस उद्योग की विशाल क्षमता से अवगत हुआ। उन्होंने समझा कि उचित ग्रेडिंग , पैकेजिंग , मार्केटिंग, और सप्लाई चेन के अभाव में मखाना किसानों और थोक विक्रेताओं को सही दाम नहीं मिल पाता।

2024 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नदीम ने अपने पिता के अनुभव और संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए नेचर्स मखाना ब्रांड की स्थापना की पिता से लिए गए एक करोड़ के निवेश को उन्होंने सावधानीपूर्वक उत्पादन । पैकेचिंग और परिचालन खर्चा में विभाजित किया । उनकी पहली प्राथमिकता मखाने की ग्रेडिंग, पैकेजिंग , और परिचालन खर्चा में विभाजित किया ।

उन्होंने कटिहार जिले के 50 से अधिक किसानों को सीधे जोड़ा और एक प्राइस चेन बनाई। जिससे किसान बेहतर दाम पर अपनी उपज बेच सके। नदीम ने दिल्ली के प्रसिद्ध थोक बाजार खारी बबली में एक गोदाम स्थापित किया। जहां बिहार से आने वाले मखाने की ग्रेडिंग और पैकिंग के बाद सप्लाई की जाने लगी। उन्होंने एक सेल्स पर्सन की बाजार में भेजा। ताकि नए खरीदारों से संपर्क बढ़ाया जा सके।

धीरे धीरे नेचर्स मखाना का नाम बड़े ठोक व्यापारियों और फूड ब्रांडो के बीच पहचाना जाने लगा। अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 तक कंपनी का मासिक राजस्व लगभग 1 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। 2025 में नदीम ने डिजिटल मार्केटिंग की ताकत को भी पहचाना। उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी फैक्ट्री,ग्रेडिंग, प्रोसेस और तैयार मखानों की वीडियो और रिले पोस्ट करनी शुरू की । शुरुआत में प्रतिक्रिया धीमी रही।

लेकिन रिलास को बेस्ट करने पर उन्हें तुरंत लाखों रुपए के ऑर्डर मिलने लगे 500 रुपया के विज्ञापन से 3 लाख रूपये के दो बड़े ऑर्डर हासिल होने के बाद नदीम ने डिजिटल प्रेमिसशन पर फोकस बढ़ा दिया । आज उनकी रिलास पर 7से 8 लाख हर महीने व्यूज आते हैं। जिससे पूरे देश से रोजाना सैकड़ों पूछताछ कोल आती है। आज नेचर्स मखाना पूरे देश में अपनी पहचान बना चुका है। कंपनी बड़े पैमाने पर ग्रेडेड कच्चे मखाने सप्लाई करते हैं।

कई ब्रांडो के लिए व्हाइट लेबलिंग भी करती है। दिल्ली पंजाब मध्यप्रदेश , कर्नाटक,महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल,राजस्थान, और गुजरात जैसे राज्यों में उनकी मजबूत पकड़ बन चुकी है। कंपनी की न्यूनतम ऑर्डर मात्रा 150 किलोग्राम है। जिसकी औसत कीमत 1,35,000 रूपये होती है। इसमें उत्पादन,ग्रेडिंग, पैकेजिंग और अन्य ऑपरेशंस खर्चा को निकालने के बाद कंपनी लगभग 20,000 रूपये के लाभ अर्जित करती है। नदीम अपने दिन का बड़ा हिस्सा फैक्ट्री और ऑफिस में बिताते है । वे अपने mba कॉलेज की क्लास में कम जाते हैं।

क्योंकि उनका मानना है कि असली सिख उन्हें अपने स्टार्टअप को चलाते हुए मिल रही है। उनके पिता भले ही अपनी भावनाएं कम जाहिर करते हो। मगर नदीम मानते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। क्योंकि अब बिहार का मखाना देशभर की बड़ी कंपनियों में पहुंच रहा है। यह सब आधुनिक सोच ग्रेडिंग। इंस्टाग्राम मार्केटिंग और ईमानदार प्रयास का नतीजा है। नेचर्स मखाना आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश की तैयारी कर रहा है।

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